कोरोना वायरस से कम नही है शिक्षा माफिया का शिकंजा
रिशु कुमार नायडू
सब के सब शराब शराब में लगे हैं और यहां निजी स्कूलों ने पालकों का जीना दूभर कर दिया है । असली माफिया स्लीपर सेल की तरह अपनी जड़ें जमाता जा रहा है ।। ऑनलाइन स्टडी के नाम पर पहले पूरी फीस ली गई है और अब सरकार के मानकों को ठेंगा दिखाते हुए पालकों पर महंगे प्राइवेट पब्लिशरों की किताबो का बोझ लाद दिया गया है । एनसीईआरटी ncert की किताबों के सेट की कीमत बमुश्किल 500रु या कुछ अधिक होती है जो कि शासन की गाइडलाइन के अनुसार कोर्स में शामिल करना अनिवार्य है लेकिन पालकों को किताबों की जो सूची दी गई है उनमें पहली दूसरी क्लास के किताबों के सेट की कीमत 3000 से ऊपर है ,इसमे कॉपियों की कीमत सहित ड्रेस,बेल्ट,टाई, बैच,डायरी की कीमत शामिल नही हैं। और सालाना जलसों में पालकों से होने वाली अवैध वसूली का भी कोई हिसाब नही ।। ये पूरा माफिया पहले भी सक्रिय था और आज भी सक्रिय है । इसमे ग़लती पालकों की भी है जो चुपचाप जेबें ढीली करते हैं । शिक्षा विभाग का स्टेशनरी माफियान को खुला संरक्षण प्राप्त है । रोजाना कोरोना वारियर्स को सिर माथे लेने वाले भाइयों एवं बहनों देशभक्त तो हमेशा देशभक्त ही रहेगा लेकिन इन देशद्रोही और जेब द्रोही माफिया पर भी शिकंजा कसने में योगदान दें और समाज से शिक्षा माफिया की जड़ें ढीली करने को एक मिशन बनाएं । आप इन माफिया से जब तक डरोगे ये आपको लूटते रहेंगे । सरकारी स्कूल के बच्चे भी कलेक्टर ,एसपी,,इंजीनियर ,डॉक्टर बनते हैं तो फिर क्यों बच्चों के दिमाग मे महंगी शिक्षा का भूत भरकर उन्हें रोज प्रताड़ित किया जा रहा है ।